नमो की विदेश नीति कितनी सफल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(नमो) ने अपने विदेशी दौरों का सिलसिला अभी तक जारी ही रखा है। इसके पीछे उनका उद्देश्य दूसरे देशों द्वारा भारत में निवेश करवाना या निवेश को पहले से अधिक बढ़ाना है। उनकी इस कोशिश से भारत विश्व में अंतराष्ट्रीय बाजार के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। नमो की विदेश यात्राओं ने एक तरफ जहाँ भारत को विश्व में अलग पहचान दिलाई है वहीँ विश्व भर के निवेशकों को भारत की तरफ आकर्षित भी किया है। इसके लिए उन्होंने चुना भी उन देशों को है जो पिछली सरकारों की प्राथमिकता सूची में या तो कभी आये ही नहीं या फिर सूची में उनका स्थान बहुत नीचे था। प्रधानमंत्री ने अपने विदेशी दौरों द्वारा उन देशों से समन्वय स्थापित करने का प्रयत्न किया है जिन्होंने भारतीय बाजार में कभी निवेश करने पर शायद विचार तक भी ना किया हो।

प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं का समझदारी से अध्ययन किया जाये तो कुछ महत्वपूर्ण बातें है जो निकल कर सामने आती हैं। अपनी यात्राओं को उन्होंने सबसे अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने पर केंद्रित रखा है। विदेश में रहने वाले भारतीयों/भारतीय मूल के नागरिकों में नया उत्साह भर दिया है। नमो ने उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया है कि विश्व भर में बसे भारतीय हमारे देश का अभिन्न अंग हैं। वो हमारे थे और सदा रहेंगे। मोदी ने भारतीय मूल के लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि हम ना तो उन्हें भूले हैं और ना कभी भूलेंगे। यही सब बातें उनकी संयुक्त अरब अमीरात(यूएई) की यात्रा में भी देखने को मिली। यूएई 1971 में अपने गठन के बाद से ही भारतियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यही वजह है कि वहां की तकरीबन 94 लाख जनसंख्या में करीब 24 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। इसके  बावजूद पिछली सरकारों में इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी ही केवल ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया है। इंदिरा गांधी 1981 में यूएई आयीं थी। इसलिए मोदी ने भी मौके को खूब संभाला तथा यह बोलकर वहां के लोगों का दिल जीत लिया कि “वो 34 वर्षों की कमी को पूरा करने आये हैं”।

भले ही अपने भाषण में नमो ने वहां रह रहे भारतीयों की तारीफ के पुल बांधे हों लेकिन उनका लक्ष्य निवेशकों को लुभाना ही रहा। उन्होंने निवेशकों को यह भरोसा भी दिलाया कि भारत में तुरंत एक ख़राब डॉलर के निवेश के अवसर हैं। साथ ही उन्होंने इस बात का भरोसा भी दिलाया कि भारतीय बाजार में पैसा लगाना उनके लिए फायदे का सौदा ही होगा। प्रधानमंत्री ने निवेशकों का ध्यान इस और भी दिलाया कि अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक तथा क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज जैसे संस्थानों के अनुसार भारत विश्व की सबसे तेज बढ़ रही अर्थव्यवस्था है, जहाँ पैसा निवेश करने पर केवल मुनाफ़ा ही होगा। यूएई में मौजूद भारतीयों की तारीफ करते हुए नमो ने यह कहा कि भारतीयों ने यहाँ अपने श्रम और क्षमताओं का परचम पहले ही लहरा रखा है। मोदी ने अपने भाषण से वहां के लोगों का दिल इस प्रकार जीता कि उन पर यकीन करना किसी के लिए भी कठिन नहीं रहा होगा। अब नमो की विदेश नीति कितनी सफल होती है ये तो वक्त ही बताएगा, किन्तु उन्होंने वहां के लोगों में भारत में निवेश के प्रति विश्वास जरूर जगा दिया। यूएई के निवेशक भारत में कितना तथा किस प्रकार निवेश करते हैं यह काफी कुछ देश के अंदरूनी माहौल पर निर्भर करता है। फ़िलहाल तो केवल यही आशा की जा सकती है कि प्रधानमंत्री की विदेश नीति देश को विकास के मार्ग पर ले जाने में सहायक सिद्द होगी।